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मेडिकल कॉलेज एटा से कई विभाग बिना डॉक्टर के

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रिपोर्ट: निशा कांत शर्मा (एटा)

मेडिकल कॉलेज एटा से कई विभाग बिना डॉक्टर के

1👉डॉ. नीरज अग्रवाल का चयन मेडिकल एजुकेशन सोसाइटी राजस्थान में चयन हो हुआ है लेकिन अभी मेडिकल कॉलेज एटा में ही अपनी सेवाएं दे रहे है. परन्तु कुछ समय बाद अपने नए स्थान पर जा सकते है। अभी मेडिकल कॉलेज से फिलहाल रिलीव नहीं हुए है।

2👉डॉ. अमिताभ अग्रवाल स्वेच्छा से कानपुर देहात में शासन द्वारा नियुक्ति मिली है. वही के निवासी भी है. वर्तमान एटा मेडिकल कॉलेज में आचार्य फिजियोथेरिपी विभाग में कार्यरत थे.उक्त स्थान खाली.

3👉डॉ मनोज यादव का कार्यकाल पूर्ण हो चूका है।जिसके कारण रिलीव किये जा चुके है. इनकी भी कमी मेडिकल कॉलेज में रहेगी… मेडिकल कॉलेज इनके व्यवहार से संतुष्ट नहीं होने के कारण पुनःExtention नहीं किया गया। सबसे अधिक राजनीति का दवाब बनाने वाले डॉ.के रूप में चर्चित रहने वाले…

4👉डॉ प्रगति खानेसकर सहायक आचार्य के पद पर थी. स्वेच्छा से मेडिकल कॉलेज सैफई नियुक्ति पर गई है. इनकी भी कमी मेडिकल कॉलेज में रहेगी।अपनी सुबिधा को ध्यान में रख कर सैफई मेडिकल ज्वाइन हुई है।

 

5👉डॉ हिमांशु आर जोशी सहायक आचार्य सैफई संस्थान में नियुक्ति पा गए है. यहां से स्वेच्छा से पद छोड़ गए… इनकी भी कमी मेडिकल कॉलेज में रहेगी.

 

5👉डॉ ज्ञानेंद्र सिंह सहायक आचार्य के खिलाफ कई विभागीय शिकायते जिलाधिकारी एटा के पटल पर पहुंची थी. जिसकी कमेटी बना कर जांचे कराई गई. इसके उपरांत स्वयं डॉ ज्ञानेंद्र सिंह ने पारिवारिक समस्या बताते हुए खुद से मेडिकल कॉलेज से रिलीव हो चुके है… इनकी भी कमी हुई…

 

डॉ ज्ञानेंद्र सिंह के खिलाफ मेडिकल कॉलेज के नेत्र विभाग के डॉ.करन मिश्रा द्वारा शिकायत दी गई थी. उक्त प्रकरण में कमेटी ने जाँच की थी. डॉ करन मिश्रा द्वारा बेहद गंभीर आरोप लगाए गए थे। मेडिकल कॉलेज में जगजाहिर हुआ कि डॉ ज्ञानेंद्र सिंह का व्यवहार नर्स के प्रति कैसा रहा है। जिसकी कई शिकायते की गई थी. फिलहाल मेडिकल कॉलेज से बाहर किये गए।

 

डॉ मनोज कुमार की नियुक्ति पत्रांक संख्या 2024/3536 के तहत की गई थी. नियम के अनुसार अपनी नौकरी छोड़ने से पूर्व डॉ. को एक माह पूर्व मेडिकल कॉलेज को अवगत कराना होता है. मनोज कुमार यादव ने खुद से नौकरी छोड़ने का अनुरोध भी किया था.जो कि मंजूर की गई।

 

वीरांगना अवंतिवाई मेडिकल कॉलेज एटा में अभी भी कई डॉक्टर की कमी है।जिसकी शासन से मंजूरी होकर जल्द नियुक्ति होने जा रही है।

जल्द बड़ी संख्या में मेडिकल कॉलेज में डॉ और स्टॉफ आने की मजूरी शासन स्तर से हो चुकी है। बेहतर स्वास्थ्य के लिए शासन स्तर से सारी कोशिशे की जा रही है।

नोट 👇
ज़ब से मेडिकल कॉलेज की स्थापना जनपद एटा में हुई है कई शिकायते मिलती रही है. जिन्हे पूर्व के प्राचार्य व वर्तमान की प्राचार्य द्वारा दुरुस्त किया गया है. अभी हाल ही में महिला OPD को भी नई बिल्डिंग में शिफ्ट किया गया है।

जैसे-जैसे मेडिकल कॉलेज में इलाज बेहतर मिलना शुरू होगा भीड़ बढ़ेगी. इस समय हर रोज लगभग दर्जनों पर्चीया बनाई जाती है. जिन्हे समय पर कुछ दवाइयां छोड़ कर सभी दवाएं भी मिल रही है.

लगभग पुरे मेडिकल कॉलेज के किसी भी डॉ.द्वारा बाहर की दवा नहीं लिखी जाती है. कुछ ऐसे भी डॉ.आ जाते है जिन्हे बाहर की दवाएं लिखने का कमीशन मिल जाता है इससे इंकार नहीं किया जा सकता है.लेकिन प्रशासन एटा द्वारा इस पुरे मामले पर भी कई जांचे कराई गई है जो निराधार साबित हुई है।

अल्ट्रासॉउन्ड की व्यवस्था भी वर्तमान में मेडिकल कॉलेज में शुरू हो चुकी है. इस समय अल्ट्रासॉउन्ड सिर्फ गर्भवती महिलाओ का होता है।

 

आरोप 👇
प्राचार्य पर कई बार यह आरोप लगते रहे है कि प्राचार्य की कार्यशैली से ना ख़ुश होकर मेडिकल कॉलेज से डॉ. पलायन कर रहे है। लेकिन तमाम डॉक्टर के शासन को भेजे पत्रों से यही लगता है कि स्वेच्छा से सभी ने दूसरी जगह नौकरी मिलने के कारण वर्तमान एटा की नौकरी छोड़ी है. शासन को भेजे एक डॉ. के किसी भी पत्र में प्राचार्य डॉ. रजनी पटेल का जिक्र नहीं देखा गया।ज़ब हमने इस संबंध में कुछ डॉ.से संपर्क किया तो बताया कि हम स्वयं की इच्छा से नौकरी छोड़ कर आये है. क्योंकि हमारे लिए यातायात के अनुसार सुविधाजनक नहीं था. या परिवार की दिक्कत रहती है जैसा कि डॉ मनोज यादव के क्रिया कलाप से परेशान होकर प्रशासन एटा मेडिकल कॉलेज ने संबिदा खत्म की है . डॉ ज्ञानेंद्र सिंह द्वारा पारिवारिक समस्या बता कर स्वेच्छा से पद छोड़ दिया गया है।.

कहने का अर्थ यह है कि मेडिकल कॉलेज में अराजकता खत्म होने की तरफ बढ़ रही है। एक साल से डॉ.मेडिकल कॉलेज में देखने को नहीं मिलते थे।लेकिन आज प्राचार्य व जिलाधिकारी प्रेम रंजन सिंह की सख़्ती के कारण ही मेडिकल कॉलेज आम जनता को स्वास्थ्य लाभ दे पा रहा है.

 

कुछ कमियां दूर होने में समय लगेगा क्योंकि जिला चिकित्सालय के स्टॉफ को निकम्मे रहने की लत लगी हुई है। कुछ कर्मचारी ऐसे भी है जिन्हे लोकल होने के साथ ही MLA MLC जैसे नेताओं के पल्लू का सहारा बना हुआ है।

आम जनता को यह समझने में समय लगेगा कि गाँव से शहर में रहने की आदत देर से आती है। ऐसा ही हाल वर्तमान में यहां के जनप्रतिनिधि व जल्दवाजी माफियाओ को समझना होगा.

कुछ माफिया लोकल का सहारा लेकर मेडिकल कॉलेज में कई भ्रान्तिया फैलाने का कारण बन रहे है जिन्हे मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने बाहर का रास्ता भी दिखाया है।जिलाधिकारी प्रेम रंजन सिंह के साफ निर्देश है जो कर्मचारी व डॉ अपनी सेवाएं मेडिकल कॉलेज में समय पर नहीं दे सकता है उस पर सख्त कार्यवाही की जाएगी. क्योंकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के भी साफ निर्देश है कि स्वास्थ्य सेवाएं प्रथम वरीयता की होनी चाहिए…

रिपोर्ट निशा कांत शर्मा एटा

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