Search
Close this search box.

माफियाओं तथा भ्रष्ट अधिकारियों का आई जी आर एस पर प्रार्थना पत्र के हकीकत से कोसो दूर आख्या प्रस्तुत कर बचाने का कर रहे प्रयास सक्षम अधिकारी ।

👇समाचार सुनने के लिए यहां क्लिक करें

कृष्ण माधव मिश्रा की खास रिपोर्ट
नई दिल्ली। 18/08/2024 आई जी आर एस सन्दर्भ संख्या 40019024015539 का आख्य प्रार्थी के प्रार्थना पत्र के विपरीत असंतुष्ट आख्या प्रस्तुत किया गया है जो कि हकीकत से कोशो दूर है तथा भू माफियाओं सहित भ्रष्ट तथा रिश्वत खोर अधिकारियों जो अपने पद का दुरुपयोग कर पीड़ित परिवार के जमीन पर अवैध कब्जा करने वाले लोग को बचाने का कार्य कर रहा है।

  1. आख्या के 3 नंबर बिंदु पर सरकारी कर्मचारियों के पद व तैनाती का विवरण *नील* दर्शाया गया है
    जबकि शिकायतकर्ता अपने प्रार्थना पत्र में मार्च माह 2024 के समकालीन थाना भटनी के थानाध्यक्ष जी तथा तहसील सलेमपुर में मार्च माह 2024के समकालीन तैनात चपरासी , लेखपाल, कानूनगो, नायब तहसीलदार, तहसीलदार तथा एस डी एम सलेमपुर उपरोक्त सभी पदाधिकारी जो अपने पद का दुरुपयोग कर भू माफियाओं का सहयोग करते हुए जमीन का अवैध कब्जा कराया गया है अपराधिक मामले के तहत एफ आई आर दर्ज कर आवश्यक कार्यवाही की प्रार्थना किया गया है तो नील कैसे दर्शाया जा सकता है?
  2. आख्या के 4 नंबर बिंदु पर दर्शाया गया है कि आवेदक और विपक्षी का सम्बन्ध *नील*
    जबकि आवेदक अपने प्रार्थना पत्र में पहले ही दर्शाया है कि प्रार्थी की चाची सावित्री देवी ने अपने हक व हिस्से से अधिक जमीन दूसरी चाची रामरती को बैनामा किया है इस लिए रामरती का मंद बुद्धि पुत्र सुनील कुमार मिश्रा विपक्षी और आवेदक कृष्ण माधव मिश्रा के बीच चचेरे भाई का सम्बन्ध दर्शाता है तो प्रार्थना पत्र के अनुसार आवेदक और विपक्षी का सम्बन्ध नील कैसे दर्शाया जा सकता है?
  3. आख्या के 10 नम्बर बिंदु पर अभिलेखीय साक्ष्य नील दर्शाया गया है
    जबकि थाना भटनी से हेड कांस्टेबल श्री कपिल वर्मा जी दिनांक 06/08/2024 समय साम 04: 30 PM बजे आई जी आर एस के जांच प्रक्रिया में जब पीड़ित परिवार से घर पर सम्पर्क किया गया उस दौरान पीड़ित परिवार के प्रार्थी अरविन्द कुमार मिश्रा द्वारा सम्पूर्ण घटनाक्रम की जानकारी तथा प्रार्थना पत्र से जुड़े सभी साक्ष्य उपलब्ध कराया गया जिसमे उपरोक्त जांच अधिकारी महोदय द्वारा सभी आवश्यक साक्ष्य को मोबाइल में रिकार्ड किया गया।
    फिर अभिलेखीय साक्ष्य “नील” कैसे हो सकता है?
  4. आख्या के 12 नम्बर बिन्दु में दर्शाया गया है कि शिकायतकर्ता को अवगत कराया गया है कि न्यायालय में वाद दायर कर अनुतोष प्राप्त करे
    महोदय प्रार्थी अपने प्रार्थना पत्र के माध्यम से यह अवगत कराया है कि पीड़ित परिवार तहसील न्यायालय तथा दीवानी जिला न्यायालय की शरण में है, तथा फर्जी नामांतरण आदेश व फर्जी सीमांकन आदेश मे दर्शाए गए सभी चक पर न्ययालय की शरण में है का साइन बोर्ड होने के बावजूद उपरोक्त भ्रष्ट तथा रिश्वत खोर अधिकारियों ने अपने पद का दुरुपयोग कर भू माफियाओं का सहयोग कर अवैध कब्जा कराया गया है जो कि अपराध की श्रेणी में आता है। आख्या के 13 नम्बर बिन्दु मे दर्शाया गया है कि जांच से आवेदक द्वारा लगाए गए आरोप सिद्ध हो रहा है या नहीं नील।
  5. जब की प्रार्थी के प्रार्थना पत्र को तथा जांच के दौरान उपरोक्त पीड़ित परिवार की तरफ से उपलब्ध कराए गए साक्ष्य को गंभीरता से अवलोकन किया जाए तो प्रार्थी द्वारा लगाए गए सभी अपराधिक आरोप सिद्ध होता है। आख्या मे
  6. आख्या में 14 नम्बर बिन्दु पर दर्शाया गया है कि पुलिस अधिकारी द्वारा की गयी कार्यवाही का विवरण *नील*।
    प्रार्थी ने प्रार्थना पत्र द्वारा अवगत कराया गया है कि 16/03/2024 के समकालीन थाना प्रभारी भटनी द्वारा भू माफियाओं का सहयोग कर नामांकन तथा सीमांकन में गाटा संख्या 77 नम्बर चक नही दर्ज होने पर भी अपने पद का दुरुपयोग कर आदेश अनुपालन के नाम पर अवैध कब्जा कराया गया जो कि अपराध की श्रेणी में आता है
    तो अधिकारी महोदय का कार्यवाही *नील*कैसे हो सकता है?

अतः श्री मान जी से प्रार्थी तथा पीड़ित परिवार पुनः विनम्र निवेदन करता है कि उपरोक्त प्रकरण को गंभीरता से संज्ञान में लेते हुए प्रार्थना पत्र के अनुसार भू माफियाओं सहित भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ अपराधिक मामले के तहत एफआईआर दर्ज कर आवश्यक कानूनी कार्यवाही करने की कृपा करें।

जिससे प्रार्थी सहित पीड़ित परिवार को न्याय मिल सके और कानून व्यवस्था पर विश्वास बना रहे।
तथा मुख्यमंत्री महोदय के मिशन भ्रष्टाचार मुक्त उत्तम प्रदेश बनाने का संकल्प पूर्ण हो सके 🙏

Leave a Comment

और पढ़ें