अनीथा गुहा द्वारा शिव के अमृत मंथन पर कालकूट प्रसंग व अन्य पर नृत्य और नाट्य का समागम हुआ। रेवती रामचंद्रम शम्भू नाटनम की भरतनाट्यम की मनमोहक प्रस्तुति

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रिपोर्ट: राम आसरे 

  • प्रयागराज की धरती महाकुम्भ 2025 में विश्व की सबसे बड़ी धार्मिक मेले की गवाह बनी, अब तक 54 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी संगम के घाटों पर स्नान कर सनातन संस्कृति को चहुंओर प्रसारित किया

प्रयागराज। महाकुंभ नगर, महाकुंभनगर स्थित गंगा पण्डाल में शिव स्तुति के साथ शिव के विभिन्न स्वरूपों और प्रसंगों को दर्शाया गया। कार्यक्रम में प्रथम प्रस्तुति के रूप में मांगूड़ी दोरई राजा अय्यर की शिष्या और देश विदेश में भरतनाट्यम और मंदिरों में किये जाने वाले विशेष नृत्य “सुधा नृत्यम” से अपनी पहचान बना चुकी रेवती राम चंद्रम ने अपने नृत्य प्रदर्शन से सभी का मन मोहा। तमिलनाडु राज्य द्वारा कलाईममानी पुरस्कार से सम्मानित अर्शकला भूषणं जैसे अन्य प्रतिष्टित पुरस्कारों से सम्मानित रेवती जी ने अपने प्रथम कार्यक्रम में शम्भू नृत्यम कर सभी का मन मोहा। उसके बाद उन्होंने भगवान महादेव के डमरू को साक्षात कर नट राजा का प्रदर्शन किया। उसके बाद अपने गुरु मांगूड़ी दोराईराजा अय्यर द्वारा निर्देशित नृत्य की भावपूर्ण प्रस्तुति दी।
उसके बाद दूसरी प्रस्तुति के रूप में भरतनाट्यम में देश विदेश में अपने 28 नृत्य नाटकम से भारतीय संस्कृति का प्रसार करने वाली तथा अमेरिका से संस्कृति में एक्सीलेंस पुरस्कार से सम्मानित तथा भारत कला भूषण से सम्मानित अनीथा गुहा ने अपने नृत्य संयोजन से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने भगवान शिव को समर्पित नृत्य नाटिका प्रस्तुत की। सबसे पहले भगवान शिव को प्रणाम करते हुए उनकी स्तुति “शंकरने पोटरी पोटरी” का भावपूर्ण प्रदर्शन किया। उसके बाद अमृत मंथन तथा उसमें निकलने वाले कालकूट विष का भगवान भोलेनाथ द्वारा अपने कंठ में भरने का मंचन किया जिससे देखकर सभी विभोर हो गए। अन्य कार्यक्रम में उन्होंने शंकरा श्रीगिरी, अर्धनारीश्वर और पंच सीवन का भरतनाट्यम के माध्यम से नृत्य मंचन किया। उसके बाद अवसर था बॉलीवुड के प्रसिद्ध पार्श्वगायक मुकेश के पुत्र नितिन मुकेश ने अपने भजनों से सभी को झूमने पर मजबूर कर दिया। सबसे पहले उन्होंने ज्योति से ज्योति जलाते चलो गाकर सभी को रिझाया। उसके बाद अपने सुमधुर भजनों से उन्होंने सभी को राम भजन सुनाकर राममय कर दिया।
कार्यक्रम के अंत मे संस्कृति विभाग के कार्यक्रम अधिकारी कमलेश कुमार पाठक एवं संस्कृति मंत्रालय की वरिष्ठ सलाहकार सुश्री गौरी बसु ने सभी कलाकारों को अंगवस्त्र और प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया।

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