रिपोर्ट – एके बिंदुसार एवं अजय सेठ।
वाराणसी समाचार। राष्ट्रीय हरित अधिकरण नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी ) को पर्यावरण की अदालत भी कहा जाता है । समय-समय पर पर्यावरण की अदालत द्वारा देश की जनता को शहर के जिलाधिकारियों के माध्यम से भी यह संदेश दिया जाता है कि हमें पर्यावरण के प्रति अपने नजरिए को बदलना चाहिए । गंगा और उनकी सहायक नदियों में बढ़ते प्रदूषण और अतिक्रमण के पीछे जनता जनार्दन के योगदान को नहीं भूला जा सकता है । गंगा किनारे जनसंख्या का बढ़ता दबाव और अपनी वाराणसी को ही ले लीजिए प्रतिदिन लाखों पर्यटकों का आगमन और उनका मल-जल उनके द्वारा छोड़े गए कूड़े- कचरे इस दबाव को समझ कर उनका निस्तारण करना बहुत बड़ी मेहनत और ईमानदारी का काम है । विगत 11 वर्षों से काशी के घाटों पर स्वयं सेवक के रूप में स्वच्छता अभियान चला रहे नमामि गंगे काशी क्षेत्र के संयोजक व नगर निगम के स्वच्छता ब्रांड एंबेसडर गंगा सेवक राजेश शुक्ला ने अस्सी घाट पर जनता द्वारा विसर्जित शीशा लगी तस्वीरें , पॉलिथीन से भरी पूजन सामग्रियां एवं गंगा को प्रदूषित कर रही अन्य सामग्रियों को उठाते हुए कहा कि नमामि गंगे की परियोजनाओं के माध्यम से गंगा और उसकी सहायक नदियों को स्वच्छ रखने हेतु वह सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे है जो पर्यावरण के लिए मुफीद हों। जिसमें प्रमुख रूप से गंगा और उसके बेसिन क्षेत्र में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण है । कहा कि सरकार के साथ-साथ जनता जनार्दन की भी नैतिक जिम्मेदारी होती है कि गंगा और उनकी सहायक नदियों में प्रदूषण एवं अतिक्रमण न करें । गंगा सेवक ने जनता से निवेदन करते हुए कहा कि प्रशासन द्वारा प्रदूषण फैलाने और अतिक्रमण करने पर भारी जुर्माने का प्रावधान निहित है। जनता जनार्दन को कोई असुविधा न हो इसलिए प्रशासन सख्त कार्यवाही करने से कतराता है । कहा कि हम अपील करते हैं की जनता इस बात को समझे स्वयं से किसी भी प्रकार का प्रदूषण और अतिक्रमण न करें राष्ट्रीय नदी गंगा को राष्ट्रीय संपत्ति समझकर नुकसान न पहुंचाएं।