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पेपर लीक विवाद के बीच, केंद्र ने परीक्षाओं में अनियमितताओं को रोकने के लिए देश में कड़ा कानून लागू किया, जानें इनसाइड स्टोरी

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रिपोर्ट: एके बिन्दुसार (चीफ एडिटर -BMF NEWS NETWORK)

नई दिल्ली : केंद्रीय भर्ती और प्रवेश परीक्षाओं में अनुचित साधनों के मुद्दों को संबोधित और रोकथाम करने वाला सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम, 2024, केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित किया गया हैं।
कार्मिक मंत्रालय ने शुक्रवार रात एक अधिसूचना जारी की, जिसमें कहा गया कि इस कानून के प्रावधान 21 जून से लागू होंगे।
इस अधिनियम के तहत, पेपर लीक करने या उत्तर पुस्तिकाओं से छेड़छाड़ करने का दोषी पाए जाने वाले किसी भी व्यक्ति या व्यक्तियों को कम से कम तीन साल की जेल की सज़ा होगी। इसे बढ़ाकर पांच साल किया जा सकता है और 10 लाख रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। इस अधिनियम के तहत सभी अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती होंगे।
*इस अधिसूचना की इनसाइड स्टोरी*

इस कानून से पहले, केंद्र सरकार और उसकी एजेंसियों द्वारा सार्वजनिक परीक्षाओं के संचालन में शामिल विभिन्न संस्थाओं द्वारा अपनाए गए अनुचित साधनों या किए गए अपराधों से निपटने के लिए कोई विशिष्ट कानून नहीं था।
इसकी पूर्ति हेतु सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) विधेयक, 2024 को लोकसभा ने 6 फरवरी को पारित किया और 9 फरवरी को राज्यसभा में पारित हुआ था। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 12 फरवरी को इस विधेयक को मंजूरी दे दी थी। इसके क़रीब चार माह बाद 21- 22 जून की रात यह लागू किया गया है।
उल्लेखनीय है कि नीट और यूजीसी-नेट परीक्षाओं को लेकर उठे विवादों के मध्य पिछले 9 दिन में एनटीए यानी नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने यूजीसी नेट सहित तीन बड़ी प्रतियोगी परीक्षाएं रद्द या स्थगित की हैं।
सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम, 2024 की अधिसूचना केन्द्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से पूछे जाने के ठीक एक दिन बाद आई है कि इसे कब लागू किया जाएगा। केन्द्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा था कि कानून मंत्रालय नियम बना रहा है।

*पहला राष्ट्रीय कानून*

प्राप्त जानकारी अनुसार कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय द्वारा शुक्रवार को जारी एक राजपत्र अधिसूचना में कहा गया है, “सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम, 2024 (2024 का 1) की धारा 1 की उप-धारा (2) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, केंद्र सरकार 21 जून, 2024 को उस तारीख के रूप में नियुक्त करती है, जिस दिन उक्त अधिनियम के प्रावधान लागू होंगे।”
उल्लेखनीय है कि सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम – यूपीएससी, कर्मचारी चयन आयोग, रेलवे भर्ती बोर्ड, बैंकिंग कार्मिक चयन संस्थान (आईबीपीएस) द्वारा आयोजित भर्ती परीक्षाओं और जेईई, एनईईटी और सीयूईटी जैसे केंद्रीय शैक्षणिक संस्थानों के लिए प्रवेश परीक्षाओं में धांधली करने के लिए अनुचित साधनों के उपयोग के खिलाफ यह पहला राष्ट्रीय कानून हैं – जो इन परीक्षाओं के संचालन में अनुचित साधनों से संबंधित मुद्दों को संबोधित करना चाहता है, जो भारतीय न्याय संहिता के दायरे में नहीं आते हैं।

ज्ञात हो कि हाल ही मे हुए लोकसभा चुनावों में बेहतर प्रदर्शन के बाद मजबूत हुए विपक्ष ने पेपर लीक तथा नेट परीक्षा में गड़बड़ी के मुद्दे को लेकर सरकार पर हमला बोला है, वहीं इस मुद्दे पर छात्र छात्राओं द्वारा सुप्रीम कोर्ट में अनेक याचिकाएं दायर की गई है जिसके चलते सुप्रीम कोर्ट ने नेट परीक्षा में पारदर्शी तरीके से इसे कराने पर सख्ती के साथ इसमें धांधली करने वालों के खिलाफ कार्यवाही हेतु कड़े कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। सरकार ने इसकी जॉच सीबीआई को भी सौंप दी हैं।
बावजूद इसके सोमवार को शुरू हो रहे संसद सत्र में भी विपक्षी दलों द्वारा इस मुद्दे को उठाए जाने की उम्मीद है।
क्योंकि मेडिकल में दाखिले के लिए प्रवेश परीक्षा (NEET) पर इन दिनों जमकर विवाद हो रहा है। दरअसल 5 मई को हुए नीट के एग्जाम में सभी को चौंकाते हुए एक यो दो नहीं पूरे 67 बच्चों ने टॉप किया है। साथ ही कुछ छात्रों को ग्रेस भी प्रदान की गई थी। वहीं यूजीसी नेट में पेपर लीक होने के बाद भी काफी विवाद हुआ। कई परीक्षाओं में लगातार पेपर लीक होने के बाद इससे जुडे लाखों छात्र छात्राओं में काफी रोष व्याप्त है।
कल 21 जून को ही कांग्रेस ने इस मुद्दे पर देश भर मे विरोध प्रदर्शन किया था। इस मामले में कांग्रेस ने सरकार से NEET-UG 2024 परीक्षा विवाद को सुलझाने और पेपर लीक की जिम्मेदारी लेने का आह्वान किया है। पार्टी नेताओं ने UGC-NET परीक्षा रद्द करने के लिए सरकार की आलोचना की और अनियमितताओं के लिए जवाबदेही की मांग की हैं।

*इस कानून के प्रावधान*
विदित हो कि प्रस्तावित कानून का उद्देश्य पेपर लीक, पेपर हल करने, नकल करने और कंप्यूटर संसाधनों में सेंध लगाने में लगे व्यक्तियों, संगठित माफिया और संस्थानों पर नकेल कसना है, जो अक्सर मौद्रिक या गलत लाभ के लिए “सिस्टम” के भीतर तत्वों के साथ मिलीभगत करते हैं। वास्तविक छात्र, जिनका भविष्य अनिर्धारित लीक, परीक्षा रद्द होने और परिणाम रुकने के कारण खतरे में पड़ जाता है, उन पर इसमें कार्रवाई नहीं की जाएगी।
कानून के अनुसार, सार्वजनिक परीक्षाओं में धांधली करने के दोषी पाए जाने वाले सेवा प्रदाताओं और संस्थानों को परीक्षा की आनुपातिक लागत वहन करनी होगी।
यह अधिनियम विस्तृत तरीके से कुछ इस प्रकार परिलक्षित हैं;
जिन परीक्षा सेवा प्रदाताओं को संभावित अपराध के बारे में जानकारी है, लेकिन वे इसकी रिपोर्ट नहीं करते, उन्हें संगठित अपराधों में शामिल माना जा सकता है, ऐसे लोगों पर धोखाधड़ी और अन्य कदाचार के अपराध में 5-10 साल की कैद और न्यूनतम 1 करोड़ रुपए का जुर्माना हो सकता हैं।
जांच के दौरान यदि यह स्थापित हो जाता है कि सेवा प्रदाता के किसी वरिष्ठ अधिकारी ने अपराध की अनुमति दी थी या वह अपराध करने में शामिल था, तो उसे न्यूनतम तीन वर्ष की कैद, जो अधिकतम 10 वर्ष हो सकती है, तथा एक करोड़ रुपए का जुर्माना देना होगा।
यदि परीक्षा प्राधिकरण या सेवा प्रदाता कोई संगठित अपराध करता है तो जेल की अवधि न्यूनतम पांच वर्ष और अधिकतम 10 वर्ष होगी तथा जुर्माना 1 करोड़ रुपए रहेगा।

केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि इस अधिनियम का उद्देश्य संगठित गिरोहों और संस्थाओं को रोकना है जो मौद्रिक लाभ के लिए अनुचित साधनों का प्रयोग करते हैं तथा इसके प्रावधानों से उम्मीदवारों को सुरक्षा प्रदान करना है।

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