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ये एटा में जो आज रैली का रैला दिखाई दे रहा था बो सिर्फ दो कर्मवीरों के चेहरों का था

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एटा से निशा कांत शर्मा की विशेष रिपोर्ट
एटा-तीसरी चरण के चुनाव प्रचार और सांसद राजू भईया के समर्थन में आज माननीय मुख्यमंत्री योगी जी आज शहर एटा में आए जहां पब्लिक ने उनका बड़े गर्म जोशी से स्वागत किया राजू भईया की खुशी देखते बन रही थी और सौभाविक भी है यह भी कह रहे थे कि यह रैली नहीं रैला है प्यारे भईया जी यह रैला दो कर्मवीरों के नाम का सैलाब था जो घोषणाओं का काम करते हैं और आगे पूरा करना विधायकों सांसदों और मुख्य नेताओं की भूमिका में आते हैं एटा का विकास अपने आप अपने विकास का जबाव दे रहा है चलो थोड़ा थोड़ा याद दिलाने की कोशिश करते हैं एटा मेडिकल कॉलेज की ऊंची ईमारत का सच गंभीर मरीजों को बाहर का रास्ता दिखाता है देर इतनी हो जाती है मर्ज को सफर करते करते कि इंसान जाता है और मुर्दा लौटकर आता है परदेशो से, कभी इस शहर में एक छोटा सा चिड़िया घर होता था जो आज लापता होकर भैंसों का तबेला दिखाई देता है दुर्भाग्य उसमें एक वीरांगना की मूर्ति भी खड़ी पूंछ रही है धर्म के ठेकेदारों और ब्यवस्थाऔ से अपने सम्मान और तबाही की कहानी,कभी इस शहर में चार-चार सिनेमा घर हुआ करते थे आज 0,है एटा पब्लिक मनोरंजन के नाम पर, पार्कों की कहानी बैसे भी उजड़े चमन थे ऊपर से सोने में सुहागा मजाल है कि कोई सभ्य इंसान महिला या कपल्स कुछ पलों का बैठकर सुकून ले सके क्योंकि नशेड़ियों और अय्याशों का अड्डा बने हुए हैं विकास अगर इसी को कहते हैं इस उजड़े चमन में जो थोड़ा बहुत था बो भी खत्म हो गया तो इससे बड़ी सर्म की बात और कोई दूसरी नहीं हो सकती है शहर और सड़कें जो विकास के मुंह पर धूल फैंक कर अपना जबाव स्वयं दे रही है स्कूलों की बार्षिक छुट्टियां होने बाली है बच्चे और बड़े पहले से ही शहर छोड़कर किस शहर में लाइफ एंजॉय करने जाना है अभी से प्लानिंग करने लगे आखिर कब तक यह पहला चुनाव होता तो घोषणाएं सुनने और तालियों की आवाज और दो गुनी होती तो और ही बात होती पर तीसरा चुनाव और–हम सिर्फ सुकून और देशहित के नाम पर वोट देते जा रहे हैं शहर और पब्लिक के अधिकार के नहीं इस जिले को हर सरकार ने पूरी तरह ठगा है यह कहना हम पत्रकारों के सब्जेक्ट में सामिल होता है क्योंकि हम पब्लिक को आईना दिखाने का काम करते हैं पर आज बहुत कम आईना बचे हैं जो पब्लिक को काम और अधिकारों का आईना और हक दिला सके हम पत्रकारों को किसी भी चेहरे से कोई व्यक्तिगत रिस्ता नहीं होना चाहिए लेकिन यह बात एक अफसोस में दवकर रह गई आज हमारे शहर की दुर्दशा किसी भी कलम के मुंह से नहीं निकली किसी भी क्षेत्र की प्रोग्रेस सरकारें नहीं मीडिया नेताओं और पब्लिक के द्वारा पूरी होती है बिना रोए बच्चे को दूध मां भी नहीं पिलाती है‌,और हम इस रामराज्य के सहारे बैठे हैं कि हमारे और हमारे शहर के अधिकार बिना मांगे पूरे हो जाएंगे।

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