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भारतीय मीडिया फाउंडेशन एवं इंटरनेशनल मीडिया आर्मी के लिए भगवा ध्वज का महत्व- एके बिंदुसार संस्थापक भारतीय मीडिया फाउंडेशन/ इंटरनेशनल मीडिया आर्मी।

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चीफ एडिटर एके बिन्दुसार की क़लम से 

भारतीय मीडिया फाउंडेशन एवं इंटरनेशनल मीडिया आर्मी के लिए भगवा ध्वज का महत्व-
एके बिंदुसार संस्थापक भारतीय मीडिया फाउंडेशन।
इंटरनेशनल मीडिया आर्मी।

🇮🇳 भारत का भगवा🚩 विश्वगुरु 🌏 भगवा🚩

*भगवा*🚩 शब्द केवल सम्यक सम्बुद्ध के लिये प्रयोग हुआ
सत्य सनातन ही पहला और आखरी भगवा है आप पाली की गाथा पढ़ कर समझ सकते है ।

भग्ग दोसो, भग्ग रागों, भग्ग मोहो ति भगवा ।

भग्ग मोहोती भगवा

भग्ग रागोती भगवा

भग्ग दोसोति भगवा

भवानं अन्तकरोति भगवा

 

आज इस पोस्ट के माध्यम से आप सभी का परिचय अपने पूर्वजों के उस अलौकिक ज्ञान से करा रहा हूं जो यह साबित करेगा कि उनके द्वारा प्रतिष्ठित प्रत्येक कार्य और मान्यता के पीछे उनकी एक अलग ही तार्किक और वैज्ञानिक सोच थी। उसी तार्किक और वैज्ञानिक सोच का परिणाम है कि उन्होंने रंगो में सबसे महत्वपूर्ण रंग भगवा को ही माना। जबकि प्रकृति के द्वारा ही सारे रंग बिना किसी भेदभाव के बनाएं गए है।

साथियों इस पोस्ट के तथ्य सर्वप्रथम पढ़ने वाले भी आप लोग ही होंगे क्योंकि आप पुरा गूगल सर्च कर लीजिए, कोई भी धार्मिक या अध्यात्मिक पुस्तक पढ़ लीजिए कहीं भी आपको इस पोस्ट के वो तथ्य नहीं मिलेंगे जो आपको भगवा रंग के बारे में बताएंगे।

साथियों सबसे पहले इस बात को समझिए कि हम सबके पूर्वजों ने इस रंग का नाम भगवा ही क्यों रखा होगा?

भगवा रंग भगवान् शब्द की उत्पत्ति के सिद्धांत से ही निकला है। भगवान् शब्द की उत्पत्ति पंच तत्वों के नाम के प्रारंभिक शब्द से हुईं है। इन पंच तत्वों में से एक भी तत्व के बिना इस धरती पर जीवन संभव नहीं हो सकता था और न ही भविष्य में कभी होगा। ये पंच तत्व है भूमि, गगन, वायु, अनल ( अग्नि ) और नीर ( जल)

कल्पना कीजिए कि इनमें से एक भी तत्व के अभाव में इस पृथ्वी पर जीवन असंभव है। इन्हीं से हमारा और सभी प्राणियों, पेड़, पोधे, सभी का जीवन है।
तभी गोस्वामी तुलसीदास जी ने लिखा कि :

छिति जल पावक गगन समीरा। पंच रचित अति अधम सरीरा

भावार्थ : पृथ्वी, जल, अग्नि, आकाश और वायु- इन पाँच तत्वों से यह अत्यंत अधम शरीर रचा गया है॥

साथियों इन्हीं पंचतत्व का शॉर्ट फॉर्म भगवान् शब्द है। अर्थात् भूमि का भ शब्द, गगन का ग शब्द, वायु का व शब्द, अग्नि का अ शब्द एवम् नीर का न शब्द को जोड़कर जो शब्द बनेगा वह भगवान् शब्द बनेगा।

यहीं सिद्धांत भगवा रंग के नामकरण में भी लिया गया। भगवा शब्द का उपयोग उगते सूर्य के लाल और पीले संयुक्त रंगो से मिलकर बने रंग के लिए किया गया। यदि इस रंग में नीर का अस्तित्व होता तो यह रंग बन ही नहीं पाता इसलिए इसमें न शब्द को उपयोग में नहीं लाया गया अर्थात् सूर्य की अग्नि के ऊपर यदि धरती के सभी समुंद्र का जल भी मिलाकर छोड़ दिया जाए तब भी सूर्य की अग्नि शांत नही हो पाएगी बल्कि सारा जल भी उस अग्नि के पास पहुंचने से पहले ही वाष्प बनकर उड़ जाएगा। इसलिए भगवा शब्द में न शब्द का उपयोग नहीं किया गया।

साथियों हमारे पूर्वजों ने इस रंग को इतना अधिक महत्व और पूजनीय इसलिए माना की यह रंग सूर्य नारायण का है। यदि सूर्य नारायण ही न होते तो इस पृथ्वी पर हम सबका जीवन ही नहीं होता अर्थात् भगवा रंग ही जीवन का आधार है, इस सृष्टि का आधार है, हम सबके अस्तित्व का आधार है। कल्पना कीजिए कि यदि मात्र कुछ दिनों के लिऐ सूर्य नारायण विलुप्त हो गए तो इस पृथ्वी की और इस पर आश्रित सभी प्राणियों , पेड़, पोेधे, जलचर, आदि की क्या स्थिति होगी। आइए इस अद्भुत तथ्य को भी जानिए कि क्या होगा जब भगवा रंग लिऐ हुए सूर्य नारायण विलुप्त हो जाएंगे?

1-बिना सूर्य नारायण के गुरुत्वाकर्षण के कारण पृथ्वी तेजी से अंतरिक्ष में आगे निकल जाएगीऔर संभव है की गुरुत्वाकर्षण के बिना पृथ्वी ब्लैक होल में समा जायेगी और कुछ ही सेकंड में सारी पृथ्वी और इस पर आश्रित सभी प्राणी नष्ट हो जाएंगे।

2-सूर्य नारायण के विलुप्त हो जाने से कुछ ही दिनों बाद पृथ्वी का तापमान -7° c तक हो जाएगा और लगभग चालीस दिन के अंदर – 40 ° C तक हो जाएगा जिसके दुष्परिणाम से पृथ्वी का सारा जल बर्फ बन जायेगा और हमारी नीले रंग की पृथ्वी बर्फ के गोले के कारण अंतरिक्ष में सफ़ेद रंग की दिखने लगेगी।

3-पानी के बर्फ बन जाने की वजह से इंटरनेट सेवा भी बंद हो जायेगी क्योंकि सारे इंटरनेट की Optic Fibre Cables समुंदर के अंदर होते हैं । समुंद्र का सारा पानी के बर्फ बन जाने से सारा केबल/ इन्टरनेट नष्ट हो जायेगा ।

4-सूर्य नारायण के विलुप्त हो जाने की वजह से कुछ ही मिनट में सारे पेड़- पौधे ऑक्सीजन देना बंद कर देंगे और पृथ्वी पर हाहाकार मच जाएगा, अभी कुछ दिनों पहले भी हमने देखा था कि ऑक्सीजन की कमी क्या होती है।

5- सूर्य नारायण के विलुप्त हो जाने से चांद भी नहीं दिख पायेगा क्योंकि चाँद की अपनी रौशनी नहीं होती। चन्द्रमा के गायब होने से सभी वनस्पतियां नष्ट हो जाएंगी क्योंकी उनमें अमृत जैसे ओषधीय गुणों का संचार ही चंद्रमा के कारण होता है।

तो साथियों यह है वह वज़ह जिसके कारण भगवा को वह सम्मान मिला जो किसी भी अन्य रंग को नहीं मिल सकता था।

साथियों इस पोस्ट पर जोर से सनातन राष्ट्र का जयकारा ऐसा लगाइएगा कि उसकी ध्वनि पूरी दुनियां को सुनाई दे।

सत्य सनातन संस्कृति की जय हो 🙏🙏🙏🙏

धर्म की जय हो 🙏

अधर्म का नाश हो 🙏🙏

प्राणियों में सद्भावना हो 🙏🙏🙏

विश्व का कल्याण हो 🙏🙏🙏🙏🙏

जय हिन्द 🙏

वन्दे मातरम् 🙏🙏🙏

भारत माता की जय 🙏🙏🙏🙏

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