संवाददाता-: राजू पटवा
रक्षाबंधन की कहानी सदियों पुरानी है, और यह भाई-बहन के रिश्ते की पवित्रता और सुरक्षा के प्रतीक के रूप में जानी जाती है। इस त्योहार के पीछे कई कथाएं प्रचलित हैं, जिनमें से एक महाभारत से जुड़ी हुई है।
कृष्ण और द्रौपदी की कहानी:
महाभारत के युद्ध के दौरान, एक दिन श्रीकृष्ण को एक बाण से चोट लग गई और उनके हाथ से खून बहने लगा। द्रौपदी ने तुरंत अपनी साड़ी का एक टुकड़ा फाड़कर श्रीकृष्ण के हाथ पर बांध दिया ताकि खून बंद हो जाए। श्रीकृष्ण इस भावुकता से अत्यधिक प्रभावित हुए और उन्होंने द्रौपदी को वचन दिया कि वे हर परिस्थिति में उनकी रक्षा करेंगे।
इसी वचन को निभाते हुए श्रीकृष्ण ने चीरहरण के समय द्रौपदी की लाज बचाई। जब दुशासन ने द्रौपदी के वस्त्र उतारने की कोशिश की, तब श्रीकृष्ण ने अपनी दिव्य शक्ति से उनकी साड़ी को इतना लंबा कर दिया कि दुशासन थककर हार गया, लेकिन द्रौपदी के वस्त्र नहीं उतार सका।
*यह घटना रक्षाबंधन के पवित्र त्योहार की एक महत्वपूर्ण कहानी मानी जाती है। इसमें भाई-बहन के बीच के अटूट प्रेम, सुरक्षा और वचनबद्धता का संदेश छिपा है। आज भी, रक्षाबंधन पर बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधकर उनसे अपनी सुरक्षा का वचन लेती हैं, और भाई उन्हें जीवनभर रक्षा करने का वचन देते हैं।
इस प्रकार, रक्षाबंधन का त्योहार केवल एक धार्मिक अनुष्ठान ही नहीं, बल्कि यह जीवन के उस महत्वपूर्ण रिश्ते की याद दिलाता है, जिसमें स्नेह, विश्वास, और समर्पण की भावना निहित होती है।
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!!जय श्री हरि लक्ष्मी नारायण!!
@जय श्री श्याम प्रभु @
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श्याम प्रेमी -:राजू पटवा