एटा से निशा कांत शर्मा की विशेष रिपोर्ट
एटा,भीषण गर्मी के मौसम में बढ़ते हुए तापमान से मनुष्य के साथ पशु पक्षी भी बेहाल हैं और ऐसी स्थिति में कचहरी पर आने वाले वादकारियों को पीने के पानी के लिए कितनी परेशानी होती है यह किसी से छुपा नहीं है ।
*कचहरी के चौराहे पर स्थित है सरकारी हैंड पंप बहुत लंबे समय से खराब है ।*
इस हैंड पंप के खराब होने के कारण गरीब लोगों को भी पानी खरीद कर पीना पड़ रहा है यदि यह हैंडपम सही हो जाए तो प्यासे गरीब लोग बिना जेब ढीली किए पानी पी सकते हैं ।
अब प्रश्न उठता है कि इस हैंड पंप को सही करने की जिम्मेदारी किसकी ?
*नगरपालिका परिषद एटा या किसी और की ?*
क्या चौराहे से गुजरने वाले जिम्मेदारों को यह खराब पड़ा हैंडपंप दिखाई नहीं देता ?
सूत्रों की मानें तो इस हैडपंप और अन्य सार्वजनिक स्थान पर लगे सरकारी हैंडपंपों को आसपास के पानी और कोल्डड्रिंक विक्रेता ही खराब करते हैं ताकि किसी को प्यास लगने पर प्यासा व्यक्ति इनसे पानी खरीदकर पिए।
लेकिन इन दुकानदारों के ऐसा करने से क्या जिम्मेदारों की जिम्मेदारी खत्म हो जाती है ?
क्या जनता के द्वारा चुने हुए जनप्रतिनिधि इस पर ध्यान देंगे ?
क्या समाचार चलने के बाद भी जिम्मेदारों के काम पर जूं रेंगेगी या कान में रूई ठूंसकर बहरे बने रहेंगे ?
क्या कचहरी चौराहे का यह हैंडपंप सही होगा ? , जिससे कचहरी आने वाले गरीब लोग निशुल्क अपनी प्यास बुझा सकें।
इसका जवाब भविष्य के गर्भ में छुपा है जो कुछ समय बाद सामने आएगा लेकिन अब तक भीषण गर्मी के बाबजूद सरकारी नल का खुद प्यासा होना जिम्मेदारों के निकम्मेपन का जीवंत उदाहरण है।