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भ्रम छोड़ो मानवता का रिश्ता जोड़ो, पाखंडवाद छोड़ो सनातन धर्म संस्कृति से नाता जोड़ो

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BMF NEWS NETWORK के प्रधान संपादक एके बिन्दुसार की कलम से 

भ्रम छोड़ो मानवता का रिश्ता जोड़ो,
पाखंडवाद छोड़ो सनातन धर्म संस्कृति से नाता जोड़ो

एके बिंदुसार
संस्थापक
भारतीय मीडिया फाउंडेशन

*भद्रा नाम का अर्थ*

*भद्रा – अच्छा; शुभ; आकाशगंगा; गौर वर्ण; आकर्षक; योग्य; धनवान; सफल; खुश*

भकोष – प्रकाश का खजाना; सूर्य का दूसरा नाम
भवानीश – दूरदर्शी; देखने की क्षमता रखने वाला
भाम – प्रकाश; चमक
भासुर – शानदार; एक नायक; उज्ज्वल; चमकता हुआ; क्रिस्टल; प्रतिभाशाली; चमकता हुआ भगवान; पवित्र
भार्गव – भगवान शिव, तेज प्राप्त करने वाले, भृगु से उत्पन्न, शिव का एक विशेषण, शुक्र ग्रह, एक उत्कृष्ट धनुर्धर
भास्वन – चमकदार; चमक से भरा; प्रतिभाशाली; सूर्य, भगवान सूर्य का दूसरा नाम
भानु – सूर्य; तेजस्वी; गुणी; सुंदर; शासक; श्रेष्ठता
भास्कर – प्रतिभाशाली; प्रकाशित; निर्माता; सूर्य; अग्नि; सोना
भारवा – सुखद; तुलसी का पौधा; अनुकूलनीय
भासिन – सूर्य; प्रतिभाशाली
भानुज – सूर्य से जन्मे
भारव – धनुष की डोरी
भासू – सूर्य
भद्रा – अच्छा; शुभ; आकाशगंगा; गौर वर्ण; आकर्षक; योग्य; धनवान; सफल; खुश
भवन – निर्माता; चिंताशील; आकर्षक; प्रतिभाशाली; भगवान कृष्ण का दूसरा नाम; महल
भद्रकपील – भगवान शिव; शुभ; परोपकारी और लाल रंग; शिव का एक विशेषण
भास्वर – देदीप्यमान; प्रकाशमान; उज्ज्वल; प्रतिभाशाली; चमकीला
भद्राक्ष – सुन्दर आँखों वाला
भद्रन – शुभ; भाग्यशाली आदमी
भद्रक – सुन्दर; बहादुर; योग्य
*हम सभी को इतने से समझ लेना चाहिए कि हमारी भारतीय सनातन संस्कृति क्या है इसलिए किसी भ्रम में पढ़ने की आवश्यकता नहीं है हर पल शुभ है।*
*हम सभी को किसी ऐसे पाखंड वादी विचारधारा के लोगों के चक्कर में नहीं पढ़ना चाहिए जो धर्म और संस्कृति को अपने तरीके से संचालित कर रहा है*
*मनुष्यों को अपने भ्रमजाल में फंसा कर सनातन धर्म संस्कृति के शाब्दिक अर्थों को तोड़ मरोड़ कर अपने स्वयं के विचारधारा से जो धर्म का संचालन करना चाहता है ऐसे लोगों से सावधान रहें सतर्क रहे और लोगों को सतर्क करें।*
रात्रि 12 बजकर 1 मिनट से देव काल प्रारंभ होता हैं यह समय अवधि पूजा पाठ साधना आराधना एवं महाशक्ति को खुश करने एवं महाशक्ति को हासिल करने का समय होता यह समय अवधि महाशिवरात्रि का समय काल होता है।

दिन के 12 बजकर 1 मिनट से दानव काल प्रारंभ होता हैं
यह समय अवधि दानव का समय होता है।

दिन के 12 बजकर 1 मिनट से रात्रि 12 बजे तक किसी शुभ कार्य करने के लिए सतर्क रहना चाहिए।
आठ प्रहर के उद्देश्य पर तमाम धार्मिक संतो महापुरुषों का अलग-अलग मत है लेकिन इस पर एक विधि पूर्वक रिसर्च कर सत्य की खोज करने की आवश्यकता है–
दिन के चार प्रहर-
1.पूर्वान्ह,
2.मध्यान्ह,
3.अपरान्ह,
4.सायंकाल,
रात के चार प्रहर- 5.प्रदोष, 6.निशिथ, 7.त्रियामा एवं 8.उषा।

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