Search
Close this search box.

सनातन राष्ट्र भारत में नागरिक पत्रकारिता की स्थापना से ही मिटेगा भ्रष्टाचार।

👇समाचार सुनने के लिए यहां क्लिक करें

रिपोर्ट: एके बिन्दुसार (चीफ एडिटर -BMF NEWS NETWORK)

  • धर्म एवं जाति के नाम पर सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने एवं उन्माद फैलाने वाले लोगों एवं सोशल मीडिया का दुरुपयोग करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हेतु सोशल मीडिया विधेयक लाया जाना आवश्यक।
  • सोशल मीडिया विधेयक न लाएं जाने पर प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया जो समाचार प्रसारण वैधानिक माध्यम है उनके छवि पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है।

नई दिल्ली। भारतीय मीडिया फाउंडेशन नई दिल्ली स्थित केंद्रीय कार्यालय से जारी बयान में भारतीय मीडिया फाउंडेशन की ओर से संगठन के संस्थापक एके बिंदुसार ने सोशल मीडिया विधेयक लाए जाने की राज्यों एवं केंद्र सरकार से मांग की है।
उन्होंने कहा कि आज देश में सोशल मीडिया का खुलेआम दुरुपयोग हो रहा है आईटी एक्ट के प्रावधान के तहत भी कार्रवाई नहीं हो रही है बल्कि सोशल मीडिया के जरिए सच्ची एवं प्रमाणित खबरों को प्रसारित करने वाले लोगों को ही फर्जी तरीके से फसाया जा रहा हैं।
उन्होंने बताया कि सोशल मीडिया का दुरुपयोग करने वाले लोगों को खुलेआम सोशल मीडिया का दुरुपयोग करने की खुली छूट दे दी गई है धर्म एवं जाति के नाम पर सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने वाले लोगों के ऊपर किसी भी प्रकार का कोई कार्रवाई होता दिखाई नहीं देता अक्सर सोशल मीडिया पर धर्म एवं जाति के नाम पर गलत बयान बाजी, नग्न तस्वीरें एवं गंदे वीडियो को प्रसारित करने का प्रचलन तेजी से दिखाई देता हैं इसकी बावजूद भी किसी भी प्रकार का कोई लगाम ऐसे सामाजिक स्वभाव निभाने वाले लोगों के खिलाफ नहीं होता है बल्कि जो रियल में सामाजिक क्षेत्र एवं पत्रकारिता के क्षेत्र से जुड़े हुए लोग हैं जो सच्चे और प्रमाणित खबरों को प्रसारित करते हैं भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाते हैं उनके यूट्यूब, फेसबुक इंस्टाग्राम x.com को बैन किया जा रहा है और उनके ऊपर तुरंत कार्रवाई करके लोकतंत्र के चौथे स्तंभ मीडिया एवं पत्रकारिता की अभिव्यक्ति की आजादी को रोकने की कार्रवाई की जाती हैं।
उन्होंने कहा कि किसी भी राजनेता के द्वारा शोषण मीडिया विधेयक लाने पर चर्चा नहीं की जा रही हैं क्योंकि कुछ ऐसे राजनेता हैं जो सोशल मीडिया का दुरुपयोग करने और करने के माहिर हैं इसीलिए कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं।
उन्होंने सोशल मीडिया विधेयक पर चर्चा करते हुए बताया कि
यह विधेयक सोशल मीडिया सुरक्षा अधिनियम बनाता है; सोशल मीडिया के उपयोग के लिए आयु सत्यापन अनिवार्य करता है; सोशल मीडिया के उपयोग के लिए आयु सत्यापन न करने और डेटा को अवैध रूप से रखने के लिए उत्तरदायित्व को स्पष्ट करता है; माता-पिता की सहमति अनिवार्य करता है; यह विधेयक सोशल मीडिया कंपनियों के उत्तरदायित्व से संबंधित है।
भारत में सोशल मीडिया को कैसे विनियमित किया जाता है? सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (आईटी अधिनियम): यह प्रमुख कानून है जो इलेक्ट्रॉनिक शासन (e-Governance) के लिये कानूनी आधार स्थापित करके सोशल मीडिया सहित इलेक्ट्रॉनिक संचार के सभी क्षेत्रों को नियंत्रित करता है।
आइटी एक्ट की धारा 67 के तहत यदि कोई पहली बार इंटरनेट मीडिया पर ऐसा करने का दोषी पाया जाता है, तो उसे तीन साल की जेल हो सकती है और साथ ही 5 लाख रुपये का जुर्माना भी देना पड़ सकता है। 67ए के तहत यदि कोई दोबारा ऐसा करते हुए पाया तो उसे पांच साल तक की सजा और 10 लाख तक जुमार्ना अदा करना पड सकता है।
उन्होंने बताया कि उपरोक्त प्रावधान होने के बावजूद भी किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं होती जिससे रियल पत्रकारिता करने वाले लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया जो रियल में समाचार प्रसारण के माध्यम हैं उनके छवि पर भी बुरा प्रभाव पड़ रहा है।
श्री बिंदुसार ने भारत के माननीय प्रधानमंत्री महोदय एवं सभी राज्यों के माननीय मुख्यमंत्री महोदय से अपील करते हुए कहा कि समृद्ध भारत एवं विकसित भारत के नव निर्माण के लिए सनातन राष्ट्र भारत में सोशल मीडिया विधेयक को लाया जाना अति आवश्यक एवं अपेक्षित हैं।

Leave a Comment

और पढ़ें