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सरकारी प्राइमरी स्कूलों के अध्यापक आजकल डिजिटल यानी ऑनलाइन हाजिरी पर विरोध

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रिपोर्ट: निशा कांत शर्मा 

एटा। सरकारी प्राइमरी स्कूलों के अध्यापक आजकल डिजिटल यानी ऑनलाइन हाजिरी पर विरोध कर रहे हैं। यह पहले अपने गिरेबान में झांक कर देखें कि इनको 70000 से सवा लाख रुपए तक की वेतन सरकार देती है। और स्कूलों के बच्चों की गिनती के हिसाब से इनके परीक्षा परिणाम कैसे होते हैं। किसी से छुपा नहीं है उनके बच्चे इंग्लिश मीडियम प्राइवेट स्कूलों में पढ़ते हैं। क्योंकि इन्हें मालूम है सरकारी स्कूलों में पढ़ाई नहीं होती। सबसे पहले इन पर पाबंदी होनी चाहिए कि अपने बच्चों को अपने ही स्कूल में दाखिला करें। किसी दूसरे स्कूल में बच्चे पढ़ने पर मिल जाए तो अलग से कानून बनाकर उनके खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिए जो अपने बच्चों को अपने स्कूल में नहीं पढ़ा सकते वह दूसरों के बच्चों को क्या पढ़ते होंगे इसका अंदाजा लगाया जा सकता है सरकार उन्हें सही रास्ते पर उपस्थित रहने का एक प्रयास कर रही है उसमें यह लामबंद हो रहे हैं जो इनके निकम्मापन का प्रमाण है बेसिक शिक्षा अधिकारी तथा उच्च शिक्षा अधिकारी और प्रशासन तहसीलदार एसडीएम को सेक्टर मजिस्ट्रेट अलग-अलग बनाकर इनकी जांच कराई जाए और अनुपस्थित पाए जाने पर इन्हें घर का रास्ता दिखाया जाए ऐसे भी उदाहरण है की पांच अध्यापक हैं और 15 बच्चे नहीं है क्या होगा देश के नौनीहालों का प्रशासन व सरकार को सख्त होना पड़ेगा जय हिंद

एक समाज सेबी मोहम्मद इरफान एडवोकेट एटा उत्तर प्रदेश

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