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सोनभद्र है धर्म और आध्यात्म की है सांस्कृतिक नगरी इसके बिना धर्म की कल्पना अधूरी- परम पूज्य संत श्री मिथिलेशनन्दिनीशरण जी महाराज

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रिपोर्ट: सत्यदेव पांडे ( ब्यूरो चीफ- सोनभद्र)

चोपन/सोनभद्र –शनिवार को सोनभद्र एकदिवसीय प्रवास कार्यक्रम पर पहुंचे धर्माचार्य आध्यात्मिक एवं दार्शनिक विचारक सिद्ध पीठ श्री हनुमन्निवास अयोध्या धाम के परम पूज्य संत श्री मिथिलेशनन्दिनीशरण जी महाराज जी ने कहा कि सोनभद्र धर्म और आध्यात्मिक सांस्कृतिक नगरी है। सोनभद्र के बिना धर्म की कल्पना अधूरी है। सोनभद्र मानव जीवन के आध्यात्म क्षेत्र में धर्म का केंद्र है तो वही जीविकोपार्जन के लिए अर्थ नगरी है।

यह वही सोनभद्र है जहां अंत्योदय की कल्पना से लेकर ऋषियों एवं मुनियों के तपोस्थलीय तक के लिए विश्व के मानस पटल पर सूर्य के समान रोशनी और चंद्र के समान शीतलता प्रदान करता है।सोनभद्र सेवा और समर्पण का केंद्र है। अपने एक दिवसीय भ्रमण कार्यक्रम में पहुंचे परम पूज्य स्वामी जी का चोपन नगर पहुंचने पर नर सेवा नारायण सेवा कार्यालय पर भव्य स्वागत किया गया जिसके बाद महाराज जी ने प्रत्येक शनिवार को वितरण होने वाले खिचड़ी कार्यक्रम में अपने हाथों से लोगों को प्रसाद दिये इस दौरान उन्होंने कहा कि नर सेवा नारायण सेवा यह बहुत ही पुनित कार्य है जरूरतमंदों को भोजन कराना इससे बड़ी कोई सेवा नहीं है इस दौरान नर सेवा नारायण सेवा के संयोजक मनोज चौबे मंडल अध्यक्ष सुनील सिंह एवं रजनीकांत सिंह ने अंगवस्त्र देकर महाराज जी का आशीर्वाद प्राप्त किये| महराज जी के आगमन पर जनपद के हिंदुआरी मोड़, गुरुकृपा आश्रम, विंध्य कन्या पीजी कालेज पर स्वागत समारोह किया गया| इस दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग बौद्धिक प्रमुख धनंजय पाठक,बादल पांडे, दया सिंह,रामभरोस यादव, धनंजय पाठक, पंडित आलोक कुमार चतुर्वेदी, श्यामाचरण गिरी, रामनरेश चौधरी,विजय कुमार, अभय कुमार,शिखर कुमार, प्रवीण चन्द्र पाण्डेय, ओमप्रकाश, रंजीत सिंह,विनित शर्मा, विकास सिंह छोटकू,समेत सैकड़ो लोग शामिल रहे।

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