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हाथरस मे कौन जिम्मेदार! कौन दोषी!

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रिपोर्ट: निशा कांत शर्मा 

हाथरस मे कौन जिम्मेदार! कौन दोषी!

तथाकथित भोले बाबा के सत्संग में हुई भगदड़ में गई जानो का जिम्मेदार तो कोई होगा। क्योंकि महज भीड़ और अनुयायी होने से किसी को घटना घटित करने लिए आयोजन की छूट नहीं दी जाती है।

*बिना सिर पैर की मिडिया कवरेज रही ?*

कुछ मिडिया के लोगों को यह दिलचस्पी रही कि आखिर बाबा ने नौकरी क्या की… किस नौकरी से त्यागपत्र दिया… किस विभाग में काम करते थे…. बाबा आखिर बाबा कैसे बना… पुरे दिन इस घटना की असल वज़ह से दूर भाग कर उत्तर प्रदेश के बड़े मिडिया संस्थान इस बात पर जोर दिखाई देते दिए कि आखिर बाबा किस नौकरी में था… मूल मुद्दा यह था कि आखिर इन मोतों का असली जिम्मेदार कौन है…!!

मिडिया को फिर यह भी देखना था कि क्या बाबा राम रहीम की हैसियत वाला बाबा तो नहीं है.. अगर है तो फिर बात बन गई….!!!

*क्या प्रशासन की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए ?*

अगर जिला प्रशासन की जिम्मेदारी तय होती है तब यह भी तय होना चाहिए कि क्या देश के कोने कोने में धार्मिक आयोजन नहीं होते है. क्या उन आयोजनो की जिम्मेदारी भी प्रशासन के पास ही होती है। भारत के हर कोने में एक बाबा 100 km पर मौजूद होगा क्योंकि बाबा और सपेरो के देश में यही तो मिलेगे…फिर जिला प्रशासन कहाँ दोषी है..!!

यह जरुर मान कर चाहिए कि इस तरह के आयोजन में पुलिस विभाग की बड़ी जिम्मेदारी होती है।हाथरस की घटना में हाथरस Ssp सहित स्थानीय आयोजको को वो सज़ा होनी चाहिए कि आने वाले समय में धार्मिक आयोजन की अनुमति लेने से पूर्व आयोजक अपने नाम का सरकारी वारंट पहले से मान कर चले..

*इस घटना में मृत व्यक्तियों की संख्या 116 हुई है?*

प्रशासनिक बयान के आधार पर इस घटना में करीब 116 व्यक्तियों की मृत्यु की अभी तक सूचना आई है. तीन जिलों के मेडिकल स्टॉफ की कोशिशो के बाद तमाम घायल मरीजों को उपचार दिया गया और परिजनों के सुपुर्द किया गया है. ऐसे भी इस भगदड़ में अनुयायी है जिनकी अभी तक पहचान नहीं हो सकी है। इस आयोजन में करीब 30 हजार लोगों की भीड़ जमा हुई थी. इस भीड़ का हाथरस प्रशासन के किसी भी अधिकारी के पास कोई data नहीं है. कौन कहाँ से आया है. कहाँ रुका था.. कौन किसके साथ आया था…. बस भीड़ आई और मौत का तांडव करने लगी……….. देश में भीड़ जमा करने का कोई भी ठेकेदार हो सकता है…. प्रशासन सिर्फ तनख्वाह लेने आया है।

*हाथरस का जिला प्रशासन भी भीड़ का हिस्सा बन गया? ?*

सत्संग में हुई भगदड़ से बचें हुए लोगों का कहना है कि ज़ब यह घटना घटित हो गई तो प्रशासन के पास घायलों को उपचार का कोई बंदोबस्त भी नहीं था. बस प्रशासन के अधिकारी हाथ पर हाथ रखे खडे रहे….. इसका सीधा अर्थ है कि उन्हें किसी के मरने की फ़िक्र ही नहीं थी..

सोशल मिडिया पर ऐसे कई वीडियो वायरल हो रहे कि आप उन प्रत्यक्ष्यदर्शी के बयान से डर जायेगे जो उस भयाभय परिस्थिति के सामने खड़ा था और उस मंजर को खुद आँखों से देख रहा था।

 

*शासन स्तर ?*
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शासन स्तर से दो बड़े अफसर व दो बड़े मंत्रियों को घटना स्थल व जिला हाथरस भेज दिया है. लेकिन यह चारों सिर्फ बयान देंगें कुछ नहीं करेंगे…. करना जिनको था उन्होंने कुछ नहीं किया.. यही सवाल जनता को खा रहा है….

*IAS और IPS दोनों फेल ?*

हाथरस के दोनों अधिकारी इस पूरी घटना में मामले को साधने में फेल नजर आये है. इससे साफ है कि UPSC की किताबों से ना SSP निकल पाए है और ना जिलाधिकारी … क्योंकि जिस तरह से दोनों अधिकारी अपने पुरे रौब में मिडिया को जवाब दें रहे थे उससे साफ है कि घटना की गंभीरता को न देखकर मिडिया में बयान देना बेहद जरुर हो गया था।

*दोनों बच्चे योगी से बच गए तो समझो कि गंगा नहा लिए. वरना सभी घायलों में इन्हे भी गिना जा सकता है क्योंकि मुख्यमंत्री का दिमाग़ दो महीने से अभी बहुत तप रहा है!!*

*फिलहाल यह तो तय हो चूका है कि जिले पर पहाड़ गिरेगा ही साथ ही तथाकथित बाबा का पंडाल…. बाबा योगी आदित्यनाथ उड़ा देंगें…*

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