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चिकित्सकों की कमी से जूझ रहा, एफआरयू प्राप्त सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र खागा

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रिपोर्ट: एके बिन्दुसार (चीफ एडिटर- BMF NEWS NETWORK)

  • -रोजाना सीएचसी में पांच सौ मरीजों की हो रही ओपीडी
  • हड्डी रोग व बेहोशी रोग चिकित्सक की ड्यूटी चल रही घर बैठे..चिकित्सा अधीक्षक समेत अफसर भी मौन
  • खबरों का संज्ञान नही ले रहे जिम्मेदार, अनदेखी से परेशान होते मरीज व तीमारदार
  • जिलाअधिकारी महोदया यदि करें औचक निरीक्षण, तो मिलेंगी खामियां हजार
  • शासन के आदेश को पलीता लगा रहे जिम्मेदार

खागा : भीषण गर्मी के कारण अस्पतालों में इन दिनों बढ़ती मरीजों की संख्या देखी जा सकती है। दैनिक जागरण टीम ने मंगलवार को दोपहर 12 बजे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) हरदों में उपलब्ध कराई जा रही स्वास्थ्य सेवाओं की पड़ताल की। मरीजों का कहना था कि सर्जन, पीडीअट्रिशन और आर्थो चिकित्सक की तैनाती न होने के कारण गंभीर रोग से पीड़ित रोगी को परेशान होना पड़ता है। लोगों ने उच्चाधिकारियों से समस्या के समाधान की गुहार लगाई है। वहीं देखा जा रहा है कि गंगा – यमुना पटरी के मरीजों की संख्या मे काफी इजाफा हुआ है। लोगों का कहना था कि पीएचसी विजयीपुर व खखरेरू में डाक्टर के न मिलने के कारण मरीज सीएचसी हरदों आते हैं जिससे यहां काफी लाइन लग जाती है।
सीएचसी में 11 डाक्टर, समेत 59 स्वास्थ्य कर्मियों की तैनाती है। संविदा के तहत 35 स्वास्थ्य कर्मियों को भी तैनात किया गया गया है। मरीजों का इलाज कर रहे मेडिकल अफसर सुभाषधर द्विवेदी का कहना था कि ज्यादातर मरीज सामान्य रोग से पीड़ित ही आते हैं। यह जरूर है कि गर्मी की वजह से मरीजों की संख्या सामान्य दिनों से अधिक हुई है। फार्मासिस्ट कामता मिश्र व राकेश सिंह ने दवाओं के पर्याप्त होने का दावा किया। बताया कि इन दिनों लगभग 500 से सवा पांच सौ मरीज प्रतिदिन इलाज कराने आते हैं। इलाज कराने आए राजेश कुमार, ओम नारायण, शबनम बानो, इरशाद अहमद, कोमल देवी का कहना था कि अस्पताल में सिर्फ सामान्य रोगों का ही इलाज मिल पाता है। गंभीर रोग होने पर सर्जन डाक्टर की तैनाती न होने से रेफर कर दिया जाता है। और शिशुओं को गंभीर बीमारी होने पर बाहर जाना पड़ता है। वहीं सीएचसी की नई बिल्डिंग में शिशुओं की एन‌आईसीयू की व्यवस्था तो है लेकिन डाक्टर न होने की वजह से लाखों कीमत की मशीनों में जंग लग रहा है। वहीं अधीक्षक मनीष शुक्ला ने बताया कि लिखा पढ़ी की गई है लेकिन बाल रोग विशेषज्ञ न होने के कारण तैनाती नही हो पा रही है।

अल्ट्रासाउंड के लिए जाना पड़ता है निजी अल्ट्रासाउंड सेंटर

गर्भवती महिलाओं के लिए
अल्ट्रासाउंड की सुविधा न होने पर अल्ट्रासाउंड कराने के लिए निजी अल्ट्रासाउंड सेंटर के चक्कर लगाने पड़ते हैं। इससे महिलाओं को दिक्कत उठानी पड़ती है। लोगों ने उच्चाधिकारियों से समस्या के समाधान की मांग की है। आंखों के बचाव के लिए नेत्र परीक्षण कक्ष में अपनी आंखों का इलाज कराने आए मरीजों को बैरंग लौटना पड़ता है। क्योंकि यहां डाक्टर ही नही हैं।

*सुविधा तो है,मगर डाक्टर नही*

सीएचसी में मरीजों को एक्स-रे कराने की सुविधा उपलब्ध है, लेकिन आर्थो डाक्टर की तैनाती न होने से हड्डी रोग से पीड़ित रोगी को ट्रामा सेंटर या जिला अस्पताल का चक्कर लगाना पड़ता है। एक्स रे कराने आए अमित कुमार चौरसिया और सुमित का कहना था कि हड्डी रोग से पीड़ित मरीजों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। वहीं दबी जुबान से स्टाफ कर्मियों ने बताया कि हड्डी रोग विशेषज्ञ की तैनाती है लेकिन वो जिले में बैठकर अपनी सेवा दे रहे हैं। बताया कि क‌ई डाक्टर ऐसे में जो कभी आते ही नही हैं। एक्स-रे टेक्नीशियन उमेश कुमार ने बताया कि प्रतिदिन 50 से 60 एक्स-रे किए जाते हैं। कभी-कभी बिजली न होने की वजह से समस्या का सामना करना पड़ता है।।

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