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जगतगुरु तुलसी पीठाधीश्वर श्री राम भद्राचार्य जी ने श्री राम कथा के चौथे दिन सीताराम कथा श्रवण कराया

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सीतामढ़ी से कुलरंजन झा की विशेष रिपोर्ट 

सीतामढ़ी। माता सीता की जन्मभूमि पुनौराधाम के सीता प्रेक्षागृह में जगतगुरु तुलसी पीठाधीश्वर श्री राम भद्राचार्य जी ने श्री राम कथा के चौथे दिन सीताराम कथा श्रवण कराया। कथा के आरंभ में खुशबू झा ने भक्ति गीत प्रणवऊ चरण कमल सियतेरी, जासु ऋषि मुनि नित ध्यान लगावत, मन हर्षित झूमे आज ,मिथिला में धूम मची है। अपन किशोरी जी के टहल बजबई हे, मिथिले में रहबई गीत ने भक्तो में भक्ति रस का संचार किया।
जगतगुरु ने कथा का आरंभ करते हुए कहा हिंदू वैदिक संस्कृति की व्याख्या श्री राम कथा है। कथा की गुणवत्ता से आत्म संतुष्टि होती है। कथा की चार विशेषता है पुराण सम्मत,वेद सम्मत,संस्कृत नाट्य कथा,रामायण का सार ही कथा की गुणवत्ता और विशेषता है।रघुपति से स्नेह रखने वाले ही कथा श्रवण करते है।अनेक आत्मा की आत्मीय सुख के लिए श्री राम कथा है।वैष्णव जाति के लिए कथा श्रवण कराया जाता है।अपने आराध्य भगवान को प्रसन्न करने के लिए कथा कही जाती है।प्रभु चरित्र के कथा श्रवण में श्री हनुमान सबसे बड़े रसिया श्रोता है।श्री राम दोषरहित है।उनमें कोई अवगुण नही है।जितना प्रेम सीताजी राम से करती है उससे दूना प्रेम भगवान राम भगवती सीता से करते है। यदि हनुमान जी प्रसन्न हो गए तो प्रभु राम जरूर मिल जाएंगे।
सीता स्वयंवर की कथा मिथिला की सबसे मनोहर कथा है।सीता जी ही राम जी का वरण कर रही है।सुमंगल अवसर पर सीता स्वयंवर आयोजित होता है।सभी देश के राजा स्वयंवर में आते है।देव दनुज सातों द्वीप के राजा सीता स्वयंवर में आए।शिव धनुष को कोई हिला भी न सका।देवता भी मानव शरीर धारण कर मिथिला मे सीता स्वयंवर में आए।मिथिला राज्य का सबसे बड़ा उत्सव सीता स्वयंवर ही था।

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