रिपोर्ट: एके बिन्दुसार (चीफ एडिटर -BMF NEWS NETWORK)
— लिटिल फ्लावर स्कूल मामला।
— अवैध या वैध के बीच हाई कोर्ट गया विद्यालय।
— भारत के कानून पर भारी बेसिक शिक्षा अधिकारी।
— अभिभावकों को प्रेषित स्पष्टीकरण पत्र में लिटिल फ्लावर स्कूल ने माना कि उसके पास मान्यता नहीं।
आर के पाण्डेय, दि ग्राम टुडे, हरैया, बस्ती। जब बाड़ ही खाने लगे खेत तो बचाएगा कौन? कुछ ऐसा ही नजारा उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में बेसिक शिक्षा विभाग का है जो कि न तो भारत के कानून को मानता है और न ही वह अपनी जिम्मेदारियों को निभाता है।
उपरोक्त के संदर्भ में जानकारी देते हुए वरिष्ठ समाजसेवी आर के पाण्डेय एडवोकेट ने बताया कि राइट टू एजुकेशन एक्ट,2009 जो कि पूरे भारतवर्ष में लागू है पर उसे उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले के बेसिक शिक्षा अधिकारी कोई तवज्जो ही नहीं देते जिसका स्पष्ट साक्ष्य है गैर मान्यता प्राप्त, मानक विहीन अवैध विद्यालयों का लगातार संचालन जिसकी आवाज समय-समय पर तमाम समाजसेवी भी उठाते रहे हैं और स्वयं आर के पाण्डेय एडवोकेट ने वर्ष 2016 में एक जबर्दस्त अभियान चलाया था जिसके बाद पूरे उत्तर प्रदेश में तमाम अवैध विद्यालयों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज हुई व उन्हें सीज किया गया। लेकिन यह बड़ा ही चौंकाने वाला मामला है कि बस्ती जिले में अभी भी गैर मान्यता प्राप्त, मानक विहीन, अवैध विद्यालय संचालित हैं जिसमें निश्चित ही बीएसए बस्ती की संदिग्ध संलिप्तता नजर आती है क्योंकि बिना बीएसए के संज्ञान के अवैध विद्यालयों का संचालन असंभव है।
जानकारी के अनुसार ताजा प्रकरण लिटिल फ्लावर स्कूल हरैया का है जिसके गैर मान्यता प्राप्त होने के संदर्भ में स्वयं बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा बंद करने की नोटिस जारी करने के साथ एक लाख रूपये के जुर्माने की नोटिस जारी हुई। कालांतर में स्कूल की मान्यता प्राप्त होने की खबरें भी कुछ मीडिया में प्रकाशित हुईं। जिसके बाद संदेह की स्थिति में इस विद्यालय के अभिभावक परेशान हुए और उनके बच्चों के भविष्य को लेकर गंभीर सवाल पैदा हुए। उस समय यह विद्यालय माननीय हाई कोर्ट इलाहाबाद की शरण में गया जहां उसने एक मुकदमा दाखिल कर रखा है परंतु अभी यह मुकदमा लंबित है जिसमें माननीय हाई कोर्ट इलाहाबाद द्वारा कोई आदेश अभी तक पारित नहीं किया गया है। स्कूल के प्रधानाचार्य ने अभिभावकों के नाम जारी एक पत्र में स्वयं यह माना कि उनका विद्यालय कक्षा 1 से 8 तक मान्यता प्राप्त नहीं है। लेकिन चौंकाने वाली बात यह भी है कि उनके इसी पत्र में सीबीएसई बोर्ड से संबद्धता भी दिखाया गया है। अब यक्ष प्रश्न यह है यह स्कूल मान्यता प्राप्त है या नहीं है? और यदि है तो विवाद क्यों? और नहीं है तो बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी क्या कर रहे हैं? निश्चित तौर से यह विषय केवल एक स्कूल का नहीं है बल्कि उत्तर प्रदेश में बेसिक शिक्षा विभाग के सभी अधिकारियों के विरुद्ध एक उच्च स्तरीय कार्रवाई की आवश्यकता है। इस संदर्भ में आर के पाण्डेय एडवोकेट ने कहा कि वह इस गंभीर प्रकरण के साथ ही पूरे उत्तर प्रदेश में गैर मान्यता प्राप्त, मानक विहीन, अवैध विद्यालयों तथा मान्यता प्राप्त होने के बावजूद मानक विहीन विभिन्न विद्यालयों के विरुद्ध एक विशेष अभियान चलाते हुए उन सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों के विरुद्ध उच्च स्तरीय विधिक कार्यवाही कराएंगे जिनके क्षेत्र में एक भी गैर मानता प्राप्त, मानक विहीन, अवैध विद्यालय व मान्यता प्राप्त परंतु मानक विहीन विद्यालय संचालित अवस्था में पाया जाता है।