रिपोर्ट: दिलीप सिंह राणा (सम्पादक)
- सिपाही विदाई समारोह नीमगांव खीरी
लखीमपुर खीरी। खाकी वर्दी भी रोयी है, कलम का सिपाही भी रोया है, तेरी खातिर खाकी मेरा भी दिल रोया है मैने भी अपनापन खोया है
हमने खाकी के खातिर अपना चैनो सुकुन भी खोया है,जो मैने पाया वो बस प्यारे ए मोहब्बत की अनमोल माया है।
देख नज़ारा थाना परिसर का,लोगों में भी एक चर्चा हुई, आखिर कौन था वो खाकी वर्दी का वो सिपाही जिसके खातिर जनता भी निरूपाए हुई।
विदाई समारोह में मेरे नीमगांव थाना क्षेत्र में तैनात हमराही बहनों ने भी रोया है,उनके अश्को के खातिर मैने अपना भाई जैसा दोस्त भी आज खोया है।
भाई से भी बढ़कर मैने थाना क्षेत्र के संभ्रांत व्यक्तियों का सम्मान किया, शायद इसी लिए एक ज़ाहिल ने मुझे बेमतलब में बदनाम किया।
रहूंगा कहीं भी एक आवाज सुन मैं दौड़ा चला आ जाऊंगा,बंधा हूं खाकी वर्दी से फिर भी भाई,दोस्त बेटे का फर्ज निभा जाऊंगा।
जो साथी मेरे नीमगांव थाने पर तैनात हैं, जिनके हाथों में थाना क्षेत्र की कायनात है, गुजारिश है मेरी करना मेरी तरह उन का भी सम्मान बस मेरा यहीं अब आखिरी पैगाम।