रिपोर्ट: अमित अग्रवाल (गिरिडीह)
गिरिडीह:- घनवार विधानसभा क्षेत्र में इस बार चुनावी मुकाबला पहले से कहीं अधिक रोचक हो गया है। तीन प्रमुख राजनीतिक दलों के दिग्गज प्रत्याशियों के बीच एक नए नाम की एंट्री ने सियासी माहौल को गर्मा दिया है। समाजसेवी निरंजन राय ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है, जिससे क्षेत्रीय राजनीति में नया मोड़ आ गया है।
निरंजन राय, जो अपनी सामाजिक सेवाओं के लिए जाने जाते हैं, पहली बार चुनावी मैदान में कदम रख रहे हैं। उनका चुनाव में उतरना भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा माले), और झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के बीच पहले से तय माने जा रहे त्रिकोणीय संघर्ष को चौतरफा बना सकता है।
*गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे ने की मान-मनौव्वल, लेकिन नहीं माने निरंजन राय*
आज भाजपा से गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे विशेष रूप से निरंजन राय के आवास पर उनसे मिलने आए थे। जानकारी के अनुसार, सांसद दुबे निरंजन राय को चुनाव न लड़ने के लिए मनाने पहुंचे थे। हालांकि, निरंजन राय ने अपनी मंशा साफ करते हुए चुनाव में उतरने के अपने फैसले को बरकरार रखा और उनकी इस दृढ़ता ने समर्थकों में जोश भर दिया है।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी, भाकपा माले के राजकुमार यादव और जेएमएम के निजामुदीन अंसारी जैसे अनुभवी नेताओं के बीच निरंजन राय का निर्दलीय के रूप में मैदान में उतरना कई तरह की राजनीतिक संभावनाओं को जन्म दे सकता है।
निरंजन राय 28 अक्टूबर को अपने नामांकन की औपचारिकता पूरी करेंगे। उनके समर्थकों में इस फैसले को लेकर काफी उत्साह है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि निरंजन राय की एंट्री से भाजपा, भाकपा माले, और जेएमएम के परंपरागत वोट बैंक पर असर पड़ सकता है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि निरंजन राय को समाज के विभिन्न वर्गों से किस प्रकार का समर्थन मिलता है और उनकी मौजूदगी तीन दिग्गज नेताओं के बीच चुनावी मुकाबले को कितना प्रभावित करती है।