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फर्रुखाबाद लोकसभा पर भाजपा की हैट्रिक।

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निशा कांत शर्मा की कलम से

संघर्ष पूर्ण मुकाबले में अटकी रही प्रत्याशियों की सांसें।
चरितार्थ हुई ,तू डाल- डाल में पांत-पांत वाली कहावत।

कार्यकर्ताओं की उपेक्षा भारी पड़ी भाजपा को।

2024 लोकसभा चुनाव की मतगरणा 4 जून को जैसे ही निर्धारित समय पर आरम्भ हुई,तो प्रत्याशियों के अलावा उनके समर्थक लगातार मतगरणा में आ रहे उतार चढ़ाव के मध्य उत्साहित और हतोउत्साहित होते नजर आ रहे थे।खुद सपा और भाजपा के प्रत्याशियों की सांसें उस समय रुकने लगती थी,जब कोई थोड़े से मतों से आगे पीछे हो जाते थे।फर्रुखाबाद लोकसभा पर यह क्रम लगातार देखने को मिला।अंतिम चरण की गिनती में जैसे ही भाजपा प्रत्यासी मुकेश राजपूत को 2408 मतों से विजयी घोषित किया गया,वैसे ही सपा प्रत्यासी और समर्थकों ने मतगरणा स्थल पर शोर शराबा आरम्भ कर दिया,इस बीच सपा समर्थक पुनः मतगरणा कराने की जिद पर अड़ गए।और प्रशासन पर बेईमानी का आरोप लगाते हुए,नारे लगाने लगे।तभी प्रशासन हरकत में आया और मजबूरन हल्का बल प्रयोग कर मामले को शान्त कराने की कोशिश की,भारी उपद्रव के चलते पुलिस को अश्रुगैस का भी इस्तेमाल करना पड़ा।फिर भी जब शांति हुई दोंनो तरफ के राजनीतिक एकत्र हुए तो प्रशासन ने पुनः बारीकी से निरीक्षण कर भाजपा प्रत्यासी मुकेश राजपूत को 2678 मतों के अंतराल से जीतने पर सर्टिफिकेट देकर उन्हें बिजयी करार दिया।मुकेश राजपूत के बिजयी होने की ख़बर से भाजपा समर्थको में उत्साह भर गया।और मुकेश राजपूत को बधाई देने वालो का तांता लग गया।भाजपा कार्यालय पर भाजपा समर्थक बैंडबाजों की धुन पर नाच उठे।यूं तो फर्रुखाबाद लोकसभा भाजपा जीत तो गई लेकिन कार्यकर्ताओं की उपेक्षा अगर न की जाती तो जीत का अंतर बहुत बड़ा होता,अगर आगे चलकर भजपंक नेताओं जनप्रतिनिधियों ने पार्टी कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज किया,तो भविष्य में भाजपा को इससे भी ज्यादा भारी कीमत चुकानी पड़ सकती हैं। अतः समय रहते कार्यकर्ताओ के स्वाभिमान के साथ खिलवाड़ किया गया तो भाजपा को भारी कीमत चुकानी पड़ सकती।

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